पंचायत चुनाव को लेकर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला
पंचायत चुनाव को लेकर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला : बिहार में पंचायती राज के तकरीबन ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो जाएगा। इसको मद्देनजर रखते हुए बिहार कैबिनेट की आज एक अहम बैठक हुई और एक नया फैसला लिया गया।
इस फैसले के तहत अब पंचायती राज के प्रतिनिधियों के कार्य परामर्श समिति संभालेगी। आज कैबिनेट ने पंचायती राज कानून में संशोधन सहित अन्य 17 एजेंडो पर अपनी मुहर लगा दी।
बिहार सरकार ने बीच का रास्ता निकाला
पंचायती राज प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून 2021 को समाप्त होता देख राज्य सरकार ने यह बीच का रास्ता निकाला है। राज्य सरकार ने किसी भी कानूनी अड़चन से बचने के लिए अध्यादेश का सहारा लिया। आज कैबिनेट की मीटिंग का प्रमुख एजेंडा पंचायती राज कानून में बदलाव करना ही था। जिसे आज राज्य कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी।
अब राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। दरअसल पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने से नए प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो पाया है। और वर्तमान प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रावधान मौजूदा कानून में नहीं है। इसलिए सरकार को यह बीच का रास्ता निकालना पड़ा।
कौन होंगे परामर्श समिति में
बिहार में लागू त्रिस्तरीय (वार्ड सदस्य, सरपंच एवं मुखिया) पंचायती व्यवस्था में बदलाव करते हुए सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया है। सरकार द्वारा अधिनियम के धारा 14, 39, 66 और 92 को संशोधित किया गया है। इस कानून के हिसाब से वार्ड सदस्य, सरपंच और मुखिया के कार्य अब डीएम द्वारा नियुक्त प्रशासक संभालेंगे।
यह एक तरह से देखा जाए तो सरकार अपने प्रशासक नियुक्त करे सकेगी। सरकार का मानना है की चुनाव के पश्चात पंचायत प्रतिनिधियों की शक्तियां बनी रहे, इसलिए अधिकारियों को नई योजना लागू करने का अधिकार नहीं होगा।
अब पंचायती राज प्रतिनिधियों के काम जिलों के DM द्वारा अपने नीचे के पदाधिकारियों में बांटे जाएंगे। मसलन वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले काम अब BDO करेंगे। वही जिला परिषद के माध्यम से होने वाले सारे काम DDC करवाएंगे।
क्या है पूरा मामला
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि वर्तमान पंचायत पंचायती राज्य प्रतिनिधियों का कार्यकाल जो कि वर्ष 2016 में शुरू हुआ था। वह 15 जून 2021 को समाप्त हो रहा है। राज्य सरकार इसे देखते हुए मार्च महीने से ही चुनाव की तैयारी में लग गई थी।
मगर पहले EVM या BALLOT पेपर से चुनाव के बीच पेंच फंसा रहा। उसके बाद कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने चुनाव की सारी संभावनाओं को लगभग समाप्त कर दिया।
मौजूदा हालात को देखते हुए हाल फिलहाल में चुनाव कराना संभव नहीं दिखता है। और साथ ही अगले 3 महीने मॉनसून का समय होता है और उसकी वजह से चुनाव नहीं हो पाएंगे।
इसलिए राज्य सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के लिए परामर्श समिति वाला रास्ता निकाला है। इन सभी परिस्थितिओ को देखते हुए पंचायत चुनाव को लेकर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला आया है