महात्मा गांधी सेतु का हुआ उद्घाटन | Gandhi Setu Inauguration
महात्मा गांधी सेतु: बिहार का मशहूर महात्मा गांधी सेतु के एक लेन का उद्घाटन कर दिया गया है। इस सेतु को उत्तर बिहार का लाइफ्लाइन भी कहा जाता है। क्यू कि उत्तर बिहार मे जरूरी समान कि आपूर्ति के लिए बड़े वाहन प्रमुख रूप से इसी सेतु का उपयोग करते है। वही इस सेतु कि कुल लंबाई 5,750 मीटर है।
उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन का शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। वही पटना से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस सादे समोरह मे मौजूद रहे।
महात्मा गांधी सेतु पर कब क्या हुआ
गांधी सेतु की जर्जर हालत को देखते हुए 2014 में केंद्र और बिहार सरकार के बीच इसे मरम्मत कराने पर सहमति बनी। मगर इसका निर्माण कार्य 2017 से पहले शुरू नहीं हो पाया।
चुकी इस सेतु पर वाहनों का दबाओ निरंतर रहता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि पहले सेतु के पश्चिमी लेन को तोड़ा जाएगा। और पूर्वी लेन से ही, अप और डाउन दोनों यातायात को जारी रहेगा।
पहले महात्मा गांधी सेतु निर्माण कार्य जून 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर दिसंबर 2019 तक कर दिया गया। पिछले साल बिहार मे हुई भारी बारिश की वजह से एक बार फिर इसकी समय सीमा बढ़ाकर मार्च 2020 तक कर दिया गया।
लेकिन, कोरोना वैश्विक महामारी के चलते काम बंद करना पड़ा था। और आखिरकार यह सेतु जून 2020 मे बनकर तैयार हुआ। और कुछ जरूरी निरीक्षण के बाद आज इस सेतु का विधिवत उद्घाटन कर दिया गया। वही इस लेन के जीर्णीद्धार पर कुल 1400 करोड़ रुपए खर्च हुए।
पूर्वी लेने के जीर्णोद्धार का कार्य अगले महीने से
अगले महीने (मानसून के बाद) से गांधी सेतु के पूर्वी लेन को तोड़कर दुरुस्त करने का काम शुरू हो जाएगा। इस लेन को 18 महीने के रिकार्ड टाइम में पूरा करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा गया है। इसके 2022 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
महात्मा गांधी सेतु के दोनों लेन बन जाने के बाद जेपी सेतु और राजेंद्र पुल पर भार कम होगा। इससे आम लोगों को जाम से मुक्ति मिलेगी और कीमती समय कि भी बचत होगी। उम्मीद यही है कि अगले महीने से पूर्वी लेन को बंद कर तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा।
क्या कहते है मंत्री जी
पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि
सरकार ने उचित ट्रैफिक प्रबंध कर मात्र दो लेन से ही उप और डाउन आवागमन का प्रबंध किया और दो लेन का पुनरुद्धार कार्य जारी रखा। इसमें ध्यान रखा गया कि पुराने पुल का मलबा गंगा में न गिरे। पुराने पुल के सुपर स्ट्रक्चर के सारे मलवे को क्रश कर वैकल्पिक उपयोग किया गया।
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गौरतलब है कि महात्मा गांधी सेतु के चारों लेन के पुनरुद्धार में 66 हजार 360 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया जाना है। पूर्वी छोर के दो लेन के जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक स्टील में से आधी मात्रा की खरीद की जा चुकी है।