BABA-Hansnath-Mandir

Sohagra Dham Siwan Bihar | BABA Hansnath Mandir

सोहगरा धाम सीवान बिहार : बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा के समीप सीवान जिले के दक्षिणी पश्चिमी छोर पर स्थित एक एतेहासिक एवं पौराणिक मंदिर है। जो सोहगरा धाम के नाम से प्रसिद्ध है, इस मंदिर को बाबा हँसनाथ मंदिर भी कहा जाता है। आज हम इस मंदिर के विषय मे प्रचलित विभिन किवदंतियां कि चर्चा करेंगे। क्यू कि सच्चाई कही ना कही इनके बीच ही होगी।

हम ये भी जानेंगे कि इस मंदिर का नाम हँसनाथ मंदिर कैसे पड़ गया। और साथ ही ये मंदिर महिलाओं और कुवारी युवतियो के बीच इतना प्रसिद्ध क्यू है?

सोहगरा धाम से जुड़ी पौराणिक कथाये

कथा 1:

शिव महापुराण में सोहगरा धाम के विषय मे विस्तृत वर्णन मिलता है।  कथा के अनुसार द्वापर युग मे वाणासुर नाम का एक प्रतापी राजा शोणितपुर (सोहनपुर) में राज किया करता था। वह परम शिवभक्त था तथा पूजा करने के लिए उसने इस विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी।

ये भी मान्यता है कि वाणासुर की पुत्री उषा यही सोहगरा के शिवमंदिर में पूजा करती थी। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से उषा को प्रेम हो जाता है। और अन्तः राक्षसराज वाणासुर की पुत्री उषा के साथ अनिरूद्ध का विवाह होता है।

कथा 2:

मंदिर के पुजारियों की माने तो यह मंदिर द्वापर युग का है। जहां पूर्व में विशाल जंगल हुआ करता था। राक्षसराज रावण के मित्र बाणासुर की पुत्री उषा को भ्रमण के दौरान यह विशाल शिवलिंग मिला था। जिसकी राक्षसराज वाणासुर की पुत्री ने उषा ने पूजा अर्चना की तो फलस्वरूप उसकी शादी भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ संपण हुई।

हालांकि अति प्राचीन शिव मंदिर की उत्पत्ति और निर्माण के विषय मे कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। इस एतेहासिक मंदिर से जुड़ी कई किवदंतियां है। कई जानकारों का ये भी कहना है कि मंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग अपने आप ही प्रकट हुआ था।

इस कथा का उल्लेख श्रीमद भागवतम के दशम स्कन्द मे भी मिलता है कि दैत्यराज वाणासुर की पुत्री उषा और भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र का विवाह इस पावन धरती पर संपण हुआ था।

* बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर, सीवान बिहार

बाबा हँसनाथ मंदिर नाम कैसे पड़ा

जैसा कि हमने ऊपर जाना कि सोहगरा धाम द्वापर युग कालीन है। कालांतर मे मंदिर कि हालत काफी जर्जर हो गई थी। काशी नरेश राजा हंस ध्वज ने संतान उत्पत्ति के लिए यहां आकर मन्नत मांगी थी और उनकी मुराद पूरी भी हुई।

इससे प्रसन होकर राजा हंस ध्वज ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया तब से मंदिर का नाम बाबा हंसनाथ पड़ गया। ये भी कहा जाता है कि जीर्णोद्धार के समय मंदिर पर अपना नाम भी अंकित करवाया था।

वर्तमान मे सोहागरा धाम, बाबा हंसनाथ की नगरी के नाम से पूरे विश्व मे प्रचलित है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार महराजा हंस ध्वज के पुत्र तुंग ध्वज ने भी अपने संतान प्राप्ति के लिए यहा मन्नत मांगी थी। जो पूरी भी हुई थी और राजकुमार को संतान कि प्राप्ति हुई थी।

महिलाओं और कुवारी युवतियो के बीच सोहगरा धाम कि प्रसिद्धि का कारण

जैसा कि हम ऊपर चर्चा कर चुके है कि राजा हंस ध्वज ने अपने संतान प्राप्ति के लिए यंहा पूजा अर्चना कि थी। और उन्हे संतान कि प्राप्ति भी हुई थी। इसलिए यंहा ये भी मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना और जलाभिषेक करने से न सिर्फ मनचाही मुरादें पूरी होती है बल्कि सुयोग्य वर यानि की पति और संतान की प्राप्ति भी होती है।

जैसा कि राक्षसराज वाणासुर की पुत्री उषा को अपने मन माफिक वर कि प्राप्ति हुई थी। इसलिए विशेष कर सोमवार को कुवारी युवतिया सोहगरा धाम मे जलाभिषेक करती है ताकि उन्हे भी सुयोग्य वर कि प्राप्ति हो सके।

सोहगरा धाम से जुड़ी 7 प्रमुख तथ्य

1) यह प्राचीन शिव मंदिर छोटी गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है। आज भी आस पास के क्षेत्रों मे खुदाई के दौरान प्राचीन काल के अवशेष मिलते रहते हैं।

2) यह मंदिर जमीनी सतह से लगभग बीस से पच्चीस फीट ऊंचे स्थान पर स्थितः है।

3) इस मंदिर मे लगभग पांच फीट ऊंचा और तीन फीट चौड़ा विशाल शिवलिंग है। इतना बड़ा शिवलिंग शायद ही भारत के किसी शिवालय मे मौजूद हो।

4) मंदिर के मुख्य द्वार पर अशोक चिन्ह का विधमान होना यह दर्शाता है कि मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट अशोक के काल मे भी हुआ होगा।

5) हँसनाथ मंदिर मनचाहे पति और संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है।

6) शिव महापुरण के चतुर्थ कोटी रुद्र संहिता के अनुसार भगवान शिव के कुल 21 ज्योति लिंग है। उन्मे से तेरहवे (13) शिवलिंग के रूप मे बाबा हँसनाथ स्वयं सोहगरा धाम मे विराजमान्न है।

7) देश मे मौजूद सर्वश्रेष्ठ नवो नाथ महादेव में शामिल बाबा हंसनाथ का शिव मंदिर भी है।

* माँ अम्बिका भवानी मंदिर|आमी मंदिर

कब पधारे बाबा हँसनाथ मंदिर

वैसे तो इस पवित्र स्थल पर हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। फिर भी अन्य शिव मंदिरों के भाति यहा भी सावन माह का विशेष महत्व है। सावन के महीने में देश के कई प्रांतों से यहां श्रद्धालु आते हैं।

सोहगरा-धाम
सावन के महीने में भक्तो कि भारी भीड़

तथा यहा पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं। प्रत्येक सोमवार, त्रयोदशी तथा अधिक भाग में यहां श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। इसी महीने में लार थाना क्षेत्र से सटे भागलपुर स्थित सरयू नदी से कांवरिया लोगों का दल हजारों की संख्या में जल उठाकर सोहागरा शिव मंदिर तक पदयात्रा करते हैं।

तथा यात्रा मार्ग में हर- हर महादेव, के जय घोष से पुरा वातावरण शिवमय हो जाता है। ये भक्त जय शिव और बम बम भोले का नारा लगाते हुए बाबा हँसनाथ मंदिर मे जलाभिषेक करते हैं।

कैसे पहुचे सोहगरा धाम

हवाई मार्ग से:

बिहार की राजधानी पटना (PAT), नियमित उड़ानों के माध्यम से देश के विभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग से:

सिवान रेलवे स्टेशन देश के विभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सोहागरा धाम सिवान जिला मुख्यालय से 39 कि०मी० दुरी पर स्थित है। सिवान रेलवे स्टेशन पर उतरने के पश्चात सड़क मार्ग से सोहागरा धाम पहुच जा सकता है।

सड़क मार्ग से:

सिवान से मैरवा दारौली होते हुये सड़क मार्ग से यंहा पहुचा जा सकता है। यू पी के लार रोड से इसकी दूरी तकरीबन 23 कि०मी० है। यहा से ऑटो रीक्शा से लोग आ सकते है।

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