बिहार में खाली पड़ी चौर भूमि पर होगा मछली पालन
बिहार में मछली पालन : राज्य में बड़े इलाके में फैली चौर भूमि (वेटलैंड) के दिन अब बहुरने वाले हैं। उस दलदली भूमि का व्यावसायिक उपयोग होगा। इस भूमि पर न सिर्फ समेकित जल कृषि योजना चलाई जाएगी, बल्कि सबसे पहले मछली पालन शुरू होगा।
बिहार में होगा मछली पालन
राज्य सरकार की इस नई योजना के तहत चौर भूमि को विकसित कर मछली पालन के योग्य बनाना है। सरकार पहली बार एक पायलट परियोजना शुरू कर रही है जिसमें इस क्षेत्र में मछली पालन की संभावनाओं को बढ़ाया जाएगा।
दरभंगा, छपरा, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के चौर क्षेत्र का विकास इस पायलट परियोजना के तहत होगा। सरकार ने पहले चरण में 15 करोड़ की स्वीकृति दी है। 316 हेक्टेयर क्षेत्र में समेकित विकास योजना चलाई जाएगी।
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चौर यानी दलदली क्षेत्र में इस परियोजना के तहत करीब डेढ़ से दो फुट शुरुआती मिट्टी काटकर वहां उपलब्ध पानी में मछली पालन किया जाएगा। चौर क्षेत्र में जो तालाब विकसित किए जाएंगे, उनके किनारे पर पौधरोपण भी होगा एवं जल में होने वाले अन्य फसल भी लगाए जाएंगे।
राज्य में 9 लाख 41 हजार हेक्टेयर में चौर भूमि है। यह क्षेत्र सालों भर पानी में डूबा रहता है। यह भूमि विभिन्न नदियों के किनारे की वैसी दलदली जगह होती है जहां कोई फसल नहीं हो पाती। इसलिए सरकार ने इन क्षेत्रों को मछली पालन के लिए चुना है।
“ जल जीवन हरियाली योजना को साकार करने मे इन क्षेत्रों का विकास काफी मददगार होगा। सरकार कि महत्वाकांक्षी योजना से काम से काम 300 टन अतिरिक्त मछली का उत्पादन यह से हो सकेगा। साथ ही, कृषि एवं वानिकी के अन्य उत्पाद भी यहा से प्राप्त हो सकेंगे। पायलट परियोजना कि सफलता के बाद सभी जिलों कि चौर भूमि पर इसे लागू किया जाएगा। “
डॉ. प्रेम कुमार, कृषि एवं पशुपालन मंत्री, बिहार सरकार