बिहार मे बनेगा हर्बल कॉरिडर|किसानों कि बढ़ेगी आय

बिहार मे बनेगा हर्बल कॉरिडर : देश मे कोरोना काल के दौरान औषधीय गुणों वाले पौधों की मांग मे अप्रत्यासीत बढ़ोतरी हुई है। और इस क्षेत्र मे बिहार भी किसी से पीछे नहीं है। इस बढ़ते मांग को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य मे हर्बल कॉरिडर बनाने का फैसला किया है। इस कोरोना संकट मे लोगों को ये भली भाति पता लग गया है की, मजबूत इम्यूनिटी ही रोगों को हमसे दूर रखती है।

पहले जिन नर्सरी मे फलदार वृक्ष और फूलों के पौधे बिकते थे, वहा मौजूदा दौर मे औषधीय गुणों वाले पौधों की बिक्री हो रही है।

बिहार मे हर्बल कॉरिडर योजना क्या है

इस कोरोना काल मे अश्वगंधा, एलोवेरा, अंजीर, गिलोय, तुलसी, समेत अन्य औषधीय पौधों की मांग काफी बढ़ गई है। बिहार सरकार देश और राज्य मे बढ़ते औषधीय पौधों की मांग को पूरा करना चाहती है। इसके साथ ही इन औषधीय पौधों की खेती से किसानों की आय मे काफी बढ़ोतरी भी होगी।

सरकार इन दोनों लक्ष्यों को ध्यान मे रख कर इस पूरी योजना को लाई है। सरकार इस कॉरिडर को बाजार से भी जोड़ेगी ताकि किसानों को अपना उत्पाद बेचने मे कोई दिक्कत ना हो।

पहले चरण मे उम्मीद है की गंगा किनारे के उन 13 जिलों का चयन होगा जहा पहले से ही जैविक खेती के लिए कॉरिडर बनाया गया था।

हम आपको बताते चले की कृषि सचिव डा. एन सरवण कुमार ने इस योजना पर काम शुरू करने की जिम्मेवारी उद्यान निदेशालय को दिया है। अब जल्द ही उद्यान निदेशालय पूरी योजना तैयार करके पूरा प्रारूप सामने लाएगा। हर्बल कॉरिडर योजना मे जैविक कॉरिडोर की भाति ही किसानों को तमाम तरह से मदद की जाएगी।

अभी क्या स्थिति है बिहार के हर्बल कॉरिडर वाले क्षेत्र मे

बिहार मे हर्बल कॉरिडर के लिए प्रस्तावित जिलों कि सुची इस प्रकार है। पटना, वैशाली, बेगूसराय, भोजपुर, नालंदा, बक्सर, सारण,लखीसराय, भागलपुर, खगड़िया, समस्तीपुर, मुंगेर और कटिहार। ये जिले पहले से ही छोटे तौर पर औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती कर रहे थे। सरकार इन्हे बड़े स्तर पर ले जाना चाहती है।

वही पटना, वैशाली और बेगूसराय मे लेमनग्रास, मेंथा और कई दूसरे औषधीय और सुगंधित पौघों की खेती होने लगी है। इसके साथ ही रोहतास और भोजपुर के कुछ गांवों में भी पीपरमिंट की खेती ने हाल के वर्षो में रफ़्तार पकड़ी है।

गंगा किनारे बसे गांव भी इसकी खेती करते हैं, मगर उनका मकसद तो नीलगायों से अपने फसलों को बचाना होता है। चुकी पीपरमिंट फसलों को नीलगाय नहीं खाते हैं। लेकिन, दूसरे जिले के किसान आमदनी से प्रभावित होकर इसकी खेती से जुड़ रहे हैं।

हर्बल पौधों से लाभ क्या है

इस कोरोना काल मे औषधीय पौधों के महत्व को सबने समझ लिया है। आइए हम आपको इन औषधीय पौधों का लाभ संक्षिप्त मे बताते है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा से शारीरिक शक्ति के साथ-साथ रक्त साफ होता है और हड्डियों को मजबूती मिलती है।

तुलसी

तुलसी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर खांसी जुकाम में लाभ पहुंचाती है।

सदाबहार के फूल और पत्तियां

इसके फुल और पत्तिया हाई ब्लड प्रेशर, शुगर ,कैंसर आदि में मददगार होते है।

गिलोय

गिलोय के बेल को पकाकर पीने से बुखार समाप्त होता है, और मधुमेह में भी काफी लाभ मिलता है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। गिलोय के फायदे निचे दिए गए विडियो में विस्तार से बाबा रामदेव के द्वारा बताया गया है।


एलोवेरा

एलोवेरा के पत्ते के अंदर से निकलने वाले जेल से पेट की बीमारियों में राहत मिलती है। इसके साथ ही चेहरे के लिए भी काफी फायदेमंद है। कुल मिलाकर कहे तो बिहार मे हर्बल कॉरिडर बनने से फायदा सबको होगा जिसमे छोटे किसानों से लेकर बड़े किसान और सरकार को भी अप्रत्यक्ष तौर पे रोजगार सृजन का मौका देगा।

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