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Siwan aur Gopalganj मे Gulf Countries से आई समृद्धि की लहर

बिहार में remittance (विदेशों मे कमाया हुआ धन स्वदेश भेजना) पिछले कुछ वर्षों से  लगातार बढ़ रहे हैं खासकर Siwan aur Gopalganj के उच्च आप्रवासी जिलों की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं।

वर्ष 2015 (अप्रैल 2015- मार्च 2016) के लिए अधिकतम प्रेषण (remittance) Siwan aur Gopalganj को प्राप्त हुआ था, और 2014 में भी यही प्रवृत्ति देखी गई थी। 

कुछ साल पहले तक विदेश जाने वाले 80 फीसदी लोग मुस्लिम और बाकी हिंदू होते थे । आज हिंदुओं की संख्या बढ़कर 40 फीसदी हो गई है ।

क्या कहते है Western Union के MD Siwan aur Gopalganj मे Remittance को लेकर

किरण शेट्टी, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और एमडी, दक्षिण एशिया, Western Union कहते हैं। बिहार ने विशेष रूप से सऊदी अरब से अधिकतम प्रेषण प्राप्त किया, इसके बाद यूएई, कतर, ओमान और कुवैत कि बारी आती है ।

वही अगर हम समूचे भारत कि बात करे तो प्रेषण बड़े पैमाने पर यूएई, यूएसए, यूके, कनाडा, कतर, सिंगापुर और मलेशिया से प्राप्त हुए।

Siwan aur Gopalganj मे Remittance को लेकर पोस्ट मास्टर जनरल क्या कहते है

Siwan aur Gopalganj सामान्य डाकघर (एकल ज़ोन) को 2014-15 में वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से 62,000 अंतर्राष्ट्रीय मनी ऑर्डर प्राप्त हुए, यह कहना है झारखंड के पोस्ट मास्टर जनरल (व्यवसाय विकास और विपणन) अनिल कुमार का। 2014-15 में डाकघरों के माध्यम से कुल 1,800 करोड़ रुपये प्राप्त करने वाले विदेशी प्रेषण के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर पहली बार आया।

अनिल कुमार ने बताया कि प्रेषण, विशेष रूप से जुड़वां जिलों (सिवान-गोपालगंज) में, ज्यादातर खाड़ी देश से आते हैं। बिहार सरकार के पास प्रवासियों पर जिलेवार आंकड़े नहीं हैं, लेकिन ट्रैवल एजेंटों का अनुमान है कि Siwan aur Gopalganj राज्य मे प्रेषण के कुल हिस्से का 70 प्रतिशत है।

विदेश जाने की हड़बड़ी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिवान पुलिस ने 2007 से 2012 तक 198,000 पासपोर्ट सत्यापित किए और गोपालगंज पुलिस ने 153,000 सत्यापित किए।

पासपोर्ट जारी करवाने का Siwan aur Gopalganj के आँकड़े

नीचे दिए गए आँकड़े विदेश मंत्रालय के, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पटना से लिए गए है। इसे यह साफ निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ये दोनों जुड़वा जिले पासपोर्ट जारी करवाने मे राजधानी पटना को काफी पीछे छोड़ रहे है।

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प्रवासी मामलों के मंत्रालय का Bihar के उपलब्ध आँकड़े

प्रवासी मामलों के मंत्रालय के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बिहार के प्रवासियों की संख्या 2006 में 36,493 से बढ़कर 2011 में 71,438 हो गई। उत्तर प्रदेश में बड़ा उछाल आया, 2006 में 66,131 से 2011 में 1,55,301 तक।

बिहार के विपरीत, प्रवासन उत्तर प्रदेश कुछ मुट्ठी भर जिलों तक सीमित नहीं है। 2014 में वेस्टर्न यूनियन- इकोनॉमिक इम्पैक्ट स्टडी का हवाला देते हुए, किरण शेट्टी ने बताया: “हमने प्रवास के रुझानों में एक बदलते पैटर्न को देखा है, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे भारत के उत्तरी राज्य अग्रणी राज्यों के रूप में उभरे हैं।

अगर पहले से स्थापित दक्षिण भारत के राज्यों से तुलना करे तो। क्यू कि पहले विदेशों मे कमाना दक्षिण भारत के राज्यों का एकाधिकार था। आज खाड़ी देशों मे बिहार के नागरिक कई रियल एस्टेट, विनिर्माण और निर्माण से संबंधित क्षेत्रों में नौकरी करते हैं।

और पिछले कुछ वर्षों के दौरान बढ़ई, वेल्डर, लॉरी ड्राइवर, राजमिस्त्री, दर्जी आदि जैसे व्यवसायों में भी कार्यरत हैं।

Siwan aur Gopalganj मे Remittance कब बढ़ जाते है ?

भारत में remittance विशेष रूप से रमजान के आसपास सबसे अधिक बढ़ जाते हैं, और बिहार में भी यह देखा गया है। रमजान के बाद, दो मुख्य छुट्टियां जो प्रेषणों में एक उछाल को दिखती है , वे हैं दिवाली और बैसाखी।

प्रवासियों के किसी अन्य समूह की तुलना में भारतीयों ने पिछले साल अधिक पैसा घर भेजा। भारत अब तक का सबसे बड़ा प्रेषण प्राप्तकर्ता देश बना हुआ है और पिछले कुछ वर्षों में हमने प्राप्त प्रेषणों में बढ़ती प्रवृत्ति देखी है।

भारत के भीतर, सबसे अधिक प्रेषण पाने वाले राज्यों में यूपी, बिहार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब शामिल हैं। यूपी सबसे बड़ा बना हुआ है, इसके बाद तमिलनाडु है।

अतीत में, यह केरल हुआ करता था, किरण शेट्टी ने कहा, विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत को वर्ष 2016 मे कुल प्रेषण $70.39 बिलियन प्राप्त हुए, यह चीन से आगे है, जिसे $ 64.14 बिलियन मिला है, और फिलीपींस, मैक्सिको और पाकिस्तान इन सभी देशों के कुल प्राप्त सभी प्रेषण से अधिक है।

Bihar मे बढ़ता हुआ Remittance का बाजार

किरण शेट्टी के मुताबिक बिहार काफी तेजी से एक मजबूत रेमिटेंस बाजार के तौर पर उभरा है. वे कहते हैं, “बिहार में हमारे आउटलेट की संख्या 2010 के 2,200 से बढ़कर 2012 में 5,500 हो गई है।

गोपालगंज में बथुआ बाजार स्थित आउटलेट में एजेंट अशरफ अली बताते हैं कि उनके केंद्र पर रोजाना दो लाख रु. तक का विनिमय होता है। उनका अनुमान है कि गोपालगंज में महीने भर का विनिमय कारोबार 150 करोड़ रु. का होगा जबकि सिवान में यह राशि 200 करोड़ रु. होगी।

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इस रिपोर्ट के निष्कर्ष कुछ इस प्रकार है , कुल प्रेषण के लगभग 59.2 प्रतिशत का उपयोग मुख्य रूप से घरों में दैनिक वस्तुवों और घरेलू उपयोग के खरिधारी के लिए किया गया था, जबकि 20 प्रतिशत बैंक जमा के लिए,  उपयोग किया गया था।

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निवेश उद्देश्यों के लिए 8.3 प्रतिशत, विशेष रूप से अचल संपत्ति और वित्तीय संपदा खरीदने के लिए किया गया। यह स्पष्ट है कि जब घरेलू उपयोग के लिए आधे से अधिक प्रेषण का उपयोग किया जाता है तो प्रेषण के कारण परिवारों के जीवन स्तर में व्यापक सुधार हुआ है। 

ऊपर दी गई जानकारी कैसी लगी कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।

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2 Comments

    1. आकड़े तो यही कहते है की इतना पैसा आता है सिवान और गोपालगंज मे।

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