Murgi Farm Ki Jankari | देशी मुर्गीपालन बिजनस
Murgi Farm Ki Jankari :- भारत मे हाल के वर्षों मे जिस तरह से जनसंख्या मे अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, उस गति से आय के साधन नहीं बढ़े है। नतिजतन हमारे युवाओ को रोजगार की तलाश मे अपने घर से दूर अन्य देशों मे मजबूरन पलायन करना पड़ रहा है।
इन सबको ध्यान मे रखते हुए बहुत सारे लोग कृषि क्षेत्र कि तरफ लौट रहे है। आज हम कृषि के ही एक अंग पशुपालन की बात करने वाले है। पशुपालन मे भी मुर्गी पालन का चलन आज कल काफी बढ़ रहा है।
मुर्गी पालन के प्रकार | Murgi Farm Ki Jankari
मुर्गी पालन को मुख्यतः हम दो भागों मे बाँट सकते है।
1) ब्रॉइलर मुर्गी पालन
2) देशी मुर्गी पालन
जैसा कि हमने ऊपर बताया की मुर्गी पालन मुख्यतः दो प्रकार का होता है। हम आज बात करेंगे देशी मुर्गी पालन की।
Murgi Farm Ki Jankari
हम आज बात करेंगे कम लागत मे होने वाली बैकयार्ड मुर्गीपालन (घर के पीछे खाली पड़ी जगह) कि। इस तरीके से अगर मुर्गी पालन किया जाए तो बहुत की काम जगह से शुरुवात करके अच्छी खासी कमाई की जा सकती है।
अगर हम बात जगह की करे तो प्रति मुर्गी हमे 1 वर्ग फुट जगह काफी होती है, और अंडे के लिए 2.5 वर्ग फुट प्रति मुर्गी की दर से जगह की आवश्यकता होती है।
बैकयार्ड मुर्गीपालन की सबसे अच्छी चीज ये है कि हम इसे काम पूंजी, थोड़ी सी जमीन और बहुत ही कम मेहनत मे करके मुनाफा काम सकते है। हम आपको बताते चले की भारत विश्व मे अंडा उत्पादन मे तीसरे स्थान पर आ चुका है, और हम बस चीन और अमेरिका से पीछे है।
कुछ लोग मुर्गी पालन को शौक के रूप मे कर रहे है। तो वही कुछ लोग इससे अतिरिक्त आय के साधन के रूप मे कर रहे है।
बिहार मे मुर्गी पालन प्रशिक्षण कहा से ले
बिहार मे कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बिहार के मनीनय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के दिशा निर्देश अनुसार, बिहार मे सं 2010 मे एक पूर्णकालीन कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना बिहार के भागलपुर जिले मे हुई। ये विश्वविद्यालय बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अंतर्गत आने वाले बिहार के विभिन जिलों मे स्थितः कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से कृषि से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त कर सकते है।
नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से आप बिहार मे मौजूद तमाम कृषि विज्ञान केंद्रों के नाम,ईमेल एवं फोन नंबर की जानकारी ले सकते है।
कृषि विज्ञान केंद Link
मुर्गी पालन कैसे करें | Murgi Farm Ki Jankari
मुर्गी पालन के लिए मुख्यत तीन चीजों की जरूरत पड़ेगी :-
1) जमीन
2) एक मुर्गी फार्म
3) देशी मुर्गी की सही नस्ल का चुनाव
जमीन
जैसा की हम ऊपर चर्चा कर चुके है कि बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए जमीन की आवश्यकता काफी कम होती है। हम घर के पीछे खाली पड़ी आधे से एक कट्टा जमीन से शुरुवात कर सकते है।
एक मुर्गी फार्म
मुर्गियों को सुरक्षित रहने के लिए एक फार्म की आवश्यकता होती है, जिसे हम बांस के फट्टों से बहुत ही कम खर्च मे बना सकते है। फार्म को और अधिक सुरक्षा देने के लिए हम बाजार मे उपलब्ध प्लास्टिक के जाली का प्रयोग भी कर सकते है।
हमे एक बात का खास ध्यान रखना पड़ेगा की फार्म को हम जमीन के स्तर से कुछ उच्चे स्थान पर बनाए जिससे की फार्म के अंदर बारिश का पानी ना जमा होने पाये।
देशी मुर्गी की सही नस्ल का चुनाव
विदेशी नस्ल कि प्रजातिओ के मुकाबले हमारी देशी नस्ल की मुर्गीया ज्यादा लाभकारी है । वैसे तो हमारे देश मे काफी नस्लों की मुर्गीया पाई जाती है । हम आज बात करेंगे देश के तीन उन्नत नस्लो कि जिनके नाम इस प्रकार है :-
1) वनराजा 2) ग्रामप्रिया 3) श्रीनिधि
देशी मुर्गी नस्ल वनराजा
वनराजा प्रजाति की मुर्गी ग्रामीण प्रवेश मे अपने आप को आसानी से ढाल लेती है । इस प्रजाति की मुर्गीया तीन महीने मे 120–135 अंडे दे देती है । बिहार में देशी मुर्गी पालन के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भी रेकॉमेंड करता है।
वनराजा प्रजाति की मुर्गीया भारतीय वातावरण के हिसाब से काफी उपयुक्त मानी जाती है । वनराजा प्रजाति के मुर्गियों को हम मांस के लिए भी पाल सकते है। इन मुर्गियों का वजन 2.5 किलो से लेकर 5 किलो तक बढ़ जाता है।
और सबसे बड़ी बात यह है की इन मुर्गियों मे बीमारिया काफी कम होती है ब्रॉइलर मुर्गी के मुकाबले।
देशी मुर्गी नस्ल ग्रामप्रिया
इसे भारत सरकार के हैदराबाद स्थित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित किया गया है।
इस प्रजाति को ग्रामीण किसानों और जनजातीय समूहों को ध्यान मे रख कर विकसित किया गया है।
इस प्रजाति कि मुर्गी डेढ़ सालों मे लगभग 220-250 अंडे दे देती है। इनका वजन वनराजा की अपेक्षा काफी कम होता है। इनका अधिकतम वजन 1.5 से 2 किलोग्राम तक ही हो पता है।
देशी मुर्गी नस्ल श्रीनिधि
इस प्रजाति कि मुर्गियों को हम दोहरी उपयोगिता के लिए पाल सकते है। कहने का तात्पर्य ये है की इनको हम अंडे और मांस दोनों ही उपयोग के लिए पाल सकते है।
श्रीनिधि प्रजाति कि मुर्गी लगभग 210 से 235 अंडे तक देती है। इसका वजन भी 2.5 से 5 किलोग्राम तक होता है। जो कि आम ग्रामीण प्रवेश वाली मुर्गियों से ज्यादा होता है।
इनमे एक और खासियत ये होती है कि, इन मुर्गियों का विकास काफी तेजी से होता है। जिससे हम बाकी प्रजाति कि मुर्गियों के अपेक्षा जल्दी और ज्यादा मुनाफा काम सकते है।
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