Industry In Bihar क्यू नहीं है | कौन है जिम्मेदार ??
Industry In Bihar : प्रवासी मजदूरों कि ये मार्मिक तस्वीर को देख के शायद हि कोई हो जिसका दिल ना दुख हो। मगर किसी के दिल दुखने मात्र से मजदूरों का दर्द नहीं कम होने वाला और नाही खत्म होने वाला है। अगर इन्हे अपने गृह राज्य मे हि रोजगार मिल जाता तो इनको कही और दर दर कि ठोकरे खाने के लिए नहीं जाना पड़ता।
शायद इसलिए 21और 22 मई को Twitter पर पूरे भारत भर मे #industryinbihar ट्रेंड करने लगा, और कुछ हि देर मे ये पूरे विश्व मे ट्रेंड करने लगा। मतलब साफ था कि अब बिहार का युवा जाग चुका है, और अपने हक के लिए आवाज भी उठा रहा है। उस दिन #industryinbihar पर 2 लाख से ज्यादा Tweet हुए और जिस तरह सभी बिहारियों ने उस दिन ट्विटर पर अपनी एकता दिखाई, वो काबिले तारीफ है।
कब से नहीं है Bihar Me Industry ?
ऐसा नहीं है कि कभी भी बिहार मे इंडस्ट्री या कहे तो उद्योग धंधे थे हि नहीं। नीचे दिए गए विडिओ से आप अंदाजा लगा सकते है कि आज से 60-70 साल पहले बिहार, बहुत ज्यादा Industrialised था और यहा रोजी रोटी या कहे तो नौकरी कि कोई कमी नहीं थी।
कौन है मौजूदा हालत के लिए जिम्मेदार ?
बिहार कि मौजूदा हालत के लिए काँग्रेस शासन और उसके सहयोगी RJD और लालू राज जिम्मेदार है। जब देश आजाद हुआ तब बाकी राज्यों कि तरह हि, बिहार मे भी काँग्रेस कि सरकार का गठन हुआ, चुकी उस दौर मे कोई अन्य दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती थी।
काँग्रेस के तमाम मुख्यमंत्री दीप नारायण सिंह से लेकर पं. बिनोदानंद झा, के बी सहाय , ये लिस्ट काफी लंबी हो सकती है मगर हम किन किन लोगों के नाम ले।
ऊपर दिए गए विडिओ मे आप साफ देख सकते है कि इन लोगों के मुख्यमंत्री बनने से पहले हि बिहार बहुत ज्यादा Industrialised था मगर शायद इन तमाम मुख्यमंत्री गण ने अपना अपना योगदान दिया और सारी Industries को धीरे धीरे समाप्त करने का काम किया।
सबसे बुरा दौर Bihar me Industry के लिए (1990-2005)
ये वो वक्त था जब भारत के अर्थ व्यवस्था मे उदारी करण लाया गया, यानि अब भारत का बाज़ार दुनिया भर के निवेश के लिए खोल दिए गए थे।
भारत के सभी राज्य अपने यहा ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करने और कल कारखाने लगाने के प्रयास मे थी। वही बिहार मे लालू राज का प्रारंभ हो रहा था, इस राज मे जो पहले से चलती हुई Industries थी उनसे रंगदारी वसूलने का काम, सरकार यानी लालू के संरक्षण मे जोर पकड़ने लगा।
Industry in Bihar कि Back Gear वाली चाल !
जहा बाकी राज्य अपने यहा नई नई factory और निवेश ला रही थी। बिहार ने Back Gear लगा लिया और अपनी चलती हुई Industries को एक एक कर के बंद करने का काम किया। हम Back Gear वाली बात को इस तरह से समझ सकते है। मान लीजिए किसी राज्य ने 5 सालों मे 10 उद्योग लगवाए और बिहार ने उसी अवधि मे 10 उद्योग बंद करवाए।
मतलब बिहार उस राज्य से 10 साल पीछे हो गया, अब हम चाहे जितनी भी तेज गति से विकास कि दौड़ लगा ले हम काफी पिछड़े हुए है। अगर हमे उन राज्यों से बराबरी करनी है तो हमे कम से कम अपने मौजूदा विकास दर से 10 गुना तेजी से विकास करना होगा, क्यू कि हमे उस खाई को पाटना है, जो हमे विरासत मे मिली है।
आँकड़े क्या कहते है Industry in Bihar के लिए
तो आइए कुछ आँकड़े देखते है क्यू कि आँकड़े कभी झूठ नहीं बोलते। लालू सरकार को 1990 मे क्या मिला और उनकी सरकार ने NDA सरकार को 2005 मे क्या दिया ?
बिहार कि GDP :
1980 के दसक मे बिहार कि 40% GDP कृषि पर निर्भर थी। यानि कि हमारी agriculture सेक्टर काफी अच्छा कार्य कर रही थी। वही 2005 आते आते मात्र19% रह गई। जब कि कृषि के लिए तमाम नए उपकरण बाजार मे उपलब्ध थे।
Textile इंडस्ट्री :
बिहार मे 1980 के दसक मे तीन Textile इंडस्ट्री हुआ करती थी। पहला सीवान, दूसरा मधुबनी और तीसरा भागलपुर मे। और आज ये स्थिति है कि यी तीनों इंडस्ट्री बंद पड़ी है और अपने बदहाली पर शायद आँसू बहा रही है।
Sugar इंडस्ट्री :
1980 के दसक मे देश का 25 % चीनी बिहार उत्पादन करता था। वही आज कि तारीख मे मात्र 6-7 % रह गया है। 28 चीनी मिल थी बिहार मे 1990 तक, जो 2005 आते आते सिर्फ 9 बची थी। मतलब लालू सरकार ने लगवाया कुछ भी नहीं और 19 चलती हुई मिल, उनके कार्यकाल मे बंद हो गए। ऐसे हि माननीय पटना हाई कोर्ट ने जंगल राज कि उपाधि नहीं दी थी, उसके पीछे ये तमाम कारण थे।
चावल और गेहू का उत्पादन :
बिहार 1980 के दसक मे देश का 29% चावल और गेहू उत्पादन करता था जो 2005 मे आधे से भी कम हो गया।
आम और लीची उत्पादन :
1990 के दसक मे बिहार पूरे भारत के आम और लीची का 50% उत्पादन करता था, जो अब आधा भी नहीं रहा। आज हम जो बाजारों से आम खरीद कर खाते है वो ज्यादातर दूसरे राज्यों से बिहार मे आता है। आज आंध्र प्रदेश अधिकतर राज्यों मे आम कि supply करता है।
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हाल फिलहाल मे बंद हुई कुछ नामी कारखाने :
मुजफ्फरपुर मे जो बिजली संयंत्र थी उसे भी बंद कर दिया गया। हालकी अभी वाली NDA सरकार ने उसका जीनोद्धार करके उसे दुबारा शुरू कर दिया है। और वर्तमान मे वहा से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है। फ़तहुआ मे मोटर साइकिल फैक्ट्री थी उसे भी बंद कर दिया गया।
यहा तक कि जिस पार्टी का चुनाव चिन्ह लालटेन है। उसने 50 साल पुरानी लालटेन कि फैक्ट्री जो डुमराओ मे हुआ करती थी उसे भी बंद करा दिया। इसी बात से आप समझ सकते है कि Industry In Bihar कैसे बचता बिहार मे।
हम अपने आने वाले लेख मे चर्चा करेंगे कि कैसे आएंगी Industry In Bihar !
ऊपर दी गई जानकारी कैसी लगी, कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।
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