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Baba Mahendranath Mandir Siwan Bihar

बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर : इस मंदिर का निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में स्वयं नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव ने करवाया था। इसलिए इस मंदिर का नामकर्ण उनके नाम पर ही कर दिया गया। बाबा महेन्द्रनाथ धाम मे पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मेहदार मंदिर मे भोले बाबा के दर्शन कर चुके है।

आस पास के क्षेत्र मे जब भी किसी का विवाह होता है तो यहा पर लोग सिंदूर चढ़ाने जरूर आते है। साथ ही लोग अपने नये वाहन का पूजा भी यहा आकार करना नहीं भूलते।

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बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर कि कहानी

ऐसी मान्यता है कि तक़रीबन 400 साल पहले नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव को कुष्ठरोग हो गया था। और वह अपना इलाज़ कराने वाराणसी जा रहे थे, और अपनी यात्रा के बिच में उन्हें विश्राम करने के लिए एक पीपल के वृक्ष के निचे रुकना पड़ा।

थकावट मिटाने के लिए पानी की तलाश में उन्हें एक छोटे से गड्ढे में पानी मिला, राजा मजबूरन उसी गड्ढे के पानी से अपना हाथ मुंह धोने लगे। जैसे ही गड्ढे का पानी कुष्ठरोग हुए हाथ पर लगा, हाथ का घाव व कुष्ठरोग गायब हो गया। 

उसके बाद राजा ने उसी पानी से स्नान कर लिया और उनका कुष्ठरोग समाप्त हो गया। यह चमत्कार देख के राजन अति प्रशन हुए, और वही एक पीपल के वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे और सो गए, उनके सोने के उपरांत सपने में भगवान शिव आये और उसी वृक्ष के निचे शिवलिंग होने के संकेत दिये।

तब राजन ने उस वृक्ष के निचे खुदाई करवाई और उन्हें शिवलिंग मिल गया जैसा की उन्होंने अपने सपने में देखा था। और फिर उसी शिवलिंग के स्थान अपर आज का महेन्द्रनाथ मंदिर स्थित है। 

महेन्द्रनाथ मंदिर का मुख्य आकर्षण

1. सैकड़ों छोटे बड़े घंटी

मुख्य मंदिर के पूर्व में सैकड़ों बड़े छोटे घंटी लटकी हुई है जो देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। सभी पर्यटक घंटी के सामने खड़े होकर अपनी तस्वीर खिचवाना नहीं भूलते। आज कल सेल्फ़ी के जमाने मे युवा पर्यटकों कि भी भीड़ इसी घंटी वाली जगह पर ही अधिक रहती है।

2. कमलदाह सरोवर

मंदिर के उत्तर में एक तालाब है जिसे कमलदाह सरोवर कहा जाता है। यह सरोवर 551 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस सरोवर से भक्त भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए जल ले जाते हैं। इस सरोवर में आप खिले हुए कमल के फूल भी देख सकते है जो बहुत ही अद्भुत लगता है। कमलदाह सरोवर मे अक्टूबर महीने के मध्य से ही बहुत सारे प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है और ये पक्षी यहा मार्च तक प्रवास करते है।

3. परिसर मे अन्य देवी देवताओ कि प्रतिमा

मंदिर परिसर के उत्तर में माँ पार्वती का एक छोटा सा मंदिर है। भगवान गणेश की एक प्रतिमा भी परिसर में रखा गया है। और गर्भगृह के दक्षिण में भगवान राम, सीता का मंदिर है। यहा पर हनुमान जी का एक अलग मंदिर है, काल भैरव, बटूक भैरव और महादेव की मूर्तियां मंदिर परिसर के दक्षिणी क्षेत्र में है। मुख्य मंदिर परिसर से लगभग 300 मीटर दूर भगवान विश्वकर्मा का एक मंदिर है। 

4. मंदिर परिसर के आस पास कि दुकाने

मंदिर परिसर मे सैकड़ों छोटी बड़ी दुकाने है जहा पर तमाम पूजा सामग्री उचित मूल्य पर मिलता है। यहा पर बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर का फोटो और विडिओ के डीवीडी भी खरीद सकते है। यहा से महिला पर्यटक अपने लिए शृंगार के समान भी खरीदती है। वही कुछ छोटे होटल भी यहा मौजूद है, जहा पर आप जलपान अथवा भोजन कर सकते है।

5. महाशिवरात्रि पर शिव विवाह समारोह

हर वर्ष बाबा महेन्द्रनाथ धाम मे महाशिवरात्रि के मौके पर यहां लाखों भक्त आते हैं। पूरे दिन उत्सव चलता रहता है और भगवान शिव व माँ पार्वती की एक विशेष विवाह समारोह आयोजित होता है। इस दौरान शिव बारात मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है।

बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर कहा है ?

बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर सीवान जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सिसवन प्रखण्ड के प्रसिद्ध गांव मेंहदार में स्थित है। यह बिहार की सबसे प्राचीन शिव मंदिरो में से एक है। यहा पर सावन महीने में महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त शिव जलाभिषेक करते हैं। वैसे तो यहा साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।

मेहदार मंदिर कैसे पहुचे ?

बाबा महेन्द्रनाथ मंदिर पर रेल या सड़क मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता है, नजदीकी रेलवे स्टेशन महेंद्रनाथ हाल्ट है। यहा से शेयरिंग आटो या टैक्सी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पटना है, जो बाबा महेन्द्रनाथ धाम से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर है।

Siwan to Mehdar Distance : सीवान से मेहदार कि दूरी लगभग 35 किलोमीटर है और यहा से नियमित रूप से शेरिंग गड़िया चलती है। अगर कोई चाहे तो सीवान से गाड़ी रिज़र्व कर के भी मंदिर तक पंहुचा जा सकता है।

मेहदार मंदिर से नजदीकी दर्शनीय स्थल

1. गोपालगंज , बिहार – थावे भवानी मन्दिर – 60 किलोमीटर 

2. कुशीनगर , उत्तर प्रदेश – 135 किलोमीटर 

3. राजगीर , बिहार – 190 किलोमीटर 

4. बोधगया , बिहार – 195 किलोमीटर

5. वाराणसी , उत्तर प्रदेश – 250 किलोमीटर

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