बिहार सशस्त्र पुलिस की शक्ति तैनात प्रतिष्ठानो तक होगी सीमित
बिहार सशस्त्र पुलिस की शक्ति तैनात प्रतिष्ठानो तक होगी सीमित :- बिहार सशस्त्र पुलिस जिसे पहले बिहार सैन्य पुलिस के नाम से जाना जाता था। इस पुलिस बल को वारंट के बैगर गिरफ्तारी और तलाशी लेने की शक्तियां सिर्फ राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित उन प्रतिष्ठानों तक ही होगी, जहां ये पुलिस बाल तैनात होंगे।
इससे अलावा विशेष शक्तियों का इस्तेमाल विशेष सशस्त्र पुलिस नहीं कर सकती। यह जानकारी गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने गुरुवार 25 मार्च 21 को पटेल भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।
अधिसूचित क्षेत्र से बाहर तैनाती पर नहीं होंगे ये अधिकार
अपर मुख्य सचिव ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस को दिए गए अधिकार के दुरुपयोग की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया। और कहा कि राज्य के औद्योगिक संस्थान, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान और ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा में विशेष सशस्त्र पुलिस की प्रतिनियुक्ति राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद ही होगी।
अधिसूचित प्रतिष्ठान में जहां इनकी प्रतिनियुक्ति होगी वहीं तक इनके अधिकार सीमित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जिन प्रतिष्ठानों को अधिसूचित नहीं किया जाता है वहां पर यदि इनकी प्रतिनियुक्ति रहती है तो विशेष सशस्त्र पुलिस को ये अधिकार नहीं होंगे।
बिहार के डीजीपी का क्या कहना है
डीजीपी ने गिरफ्तारी पर चल रही अटकलों को झुठलाया डीजीपी एसके सिंघल और डीजी आर एस भट्टी ने कहा कि गिरफ्तारी और तलाशी का अधिकार परिसर तक ही सीमित होगा जहां इनकी प्रतिनियुक्ति राज्य सरकार के आदेश पर विशेष तौर पर की जाएगी। जहां तक गिरफ्तारी का सवाल है तो विशेष सशस्त्र पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत स्थानीय थाना के सुपुर्द करेगी।
यदि वहां थाना का कोई पदाधिकारी मौजद है तो उसे वहीं सौंप दिया जाएगा। साथ ही एक रिपोर्ट भी दी जाएगी कि किन परिस्थितियों में और कैसे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी और न्यायालय में पेश करने की जो समय सीमा कानून में तय है उसकी के तहत तमाम कार्रवाई होगी। कांड का अनुसंधान भी संबंधित थाना के स्तर पर ही होगा।
इस बिल की जरूरत क्यों पड़ी ?
सदन में कैबिनेट मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि साल 2010 में राज्य में CISF की 23 कंपनियां थीं, अभी ये 45 हो चुकी हैं। इस कारण राज्य सरकार को अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. नया बल (फोर्स) बनने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस, प्रतिष्ठानों की सुरक्षा तो करेगी ही साथ ही उग्रवाद से भी मुकाबला करेगी लेकिन इस बल को असीमित अधिकार नहीं दिए गए हैं। भविष्य में मेट्रो व दूसरी जगहों पर भी इनकी प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता होगी ऐसे में लोगों की सुरक्षा और हित में यह कानून बनाया जाना जरूरी था
अपर मुख्य सचिव ने कहा लोगों की सुरक्षा के लिए दिए गए अधिकार
उन्होंने कहा कि राज्य में तेजी से विकास हो रहा है। महाबोधि मंदिर और दरभंगा एयरपोर्ट की सुरक्षा में विशेष सशस्त्र पुलिस की तैनाती की गई है। आनेवाले दिनों में मेट्रो और दूसरे जगहों पर भी इनकी प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता होगी।
ऐसे में लोगों की सुरक्षा और हित में यह कानून बनाया जाना जरूरी था। यदि कहीं उग्रवादी गतिविधियां होती हैं या बम छुपाते कोई दिखता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जा सके इसके लिए बगैर वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है।
इससे राज्य की आंतरिक सुरक्षा सुदृढ़ होगी। यह केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के तर्ज पर अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा। साथ ही केन्द्रीय बलों पर बिहार की निर्भरता कम होगी ऊपर बताए गए विवरण से ऐसा लगता है कि बिहार सशस्त्र पुलिस की शक्ति तैनात प्रतिष्ठानो तक होगी सीमित।
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