sahjan-ki-kheti-ki-jankari

सहजन कि खेती की जानकारी | Sahjan Ki Kheti Ki Jankari

सहजन की खेती की जानकारी:- सहजन या ड्रमस्टिक्स जिसका वैज्ञानिक नाम Moringa oleifera है। आज हम इस लेख के माध्यम से सहजन की खेती की पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे। जिससे बहुत सारे सवालों का जवाब खुद ही मिल जाएगा, जैसे कि सहजन का पेड़ कैसे लगाए, सहजन की खेती कब और कैसे करे, सहजन की खेती कब की जाती है, सहजन कितने प्रकार का होता है इत्यादि।

हम आगे ये भी जानेगे की सहजन का बीज कहा मिलेगा, सहजन की उन्नत किस्म एवं सहजन के फायदे। तो आइये दोस्तों ऊपर पूछे गए सवालों के जवाब विस्तार से जानते है।  

सहजन के फायदे

वैसे तो सहजन के अनेकों फायदे है, मगर हम कुछ प्रमुख फ़ायदों के बारे मे चर्चा करेंगे। सहजन की छाल, पत्ती, बीज, जड़ वगैरह से तमाम तरह की दवाएं, पाउडर, कैप्सूल, तेल वगैरह तैयार किया जाता है। मोरिंगा के बीज में एक उच्च तेल सामग्री होती है। जिससे इसका तेल निकाल जाता है और इस तेल का नाम है Ben oil और इसमें कई पोषक तत्व होते हैं।

जिसमें मोनोअनसैचुरेटेड वसा, प्रोटीन, स्टेरोल और टोकोफेरोल शामिल होते हैं। यह एक आवश्यक तेल के रूप में और खाना पकाने के तेल के रूप में उपलब्ध है। यह बाल और त्वचा उत्पादों में एक प्रमुख घटक भी है। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि देखी गई है।

सहजन की उन्नत किस्म

सहजन की खेती कैसे करे या उसके पौधों को कैसे लगाए, ये जानने से पहले आइये जान लेते है की आखिर सहजन की उन्नत किस्म कौन सी है, जिससे की हमे अधिक लाभ हो। सहजन का साल में दो बार फलने वाले प्रभेदों में पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयेंबटूर 1 तथा कोयेंबटूर 2 प्रमुख प्रभेद हैं। इनके अलावा रोहित 1, धनराज, केएम 1, केएम 2, भी प्रमुख प्रभेदों मे आते हैं।

गुजरात के एक किसान ने अपनी मेहनत से एक अलग प्रभेद की खोज की है जिसका नाम “ज्योति-1” है।  इस प्रभेद की खासियत ये है की इससे एक पौधे में 700 फलियां लगती हैं, जो आम तौर दूसरे प्रभेदों मे 300-400 फलियां ही लगती है। रोहित 1 प्रजाति रोपाई के 4-6 महीने बाद ही पौधे से पैदावार मिलनी शुरू हो जाती है। यह प्रजाति एक साल में 3 बार फसल देती है, और यह प्रभेद 10 साल तक व्यावसायिक उपज देता है।

सहजन की खेती कब और कैसे करे

इसकी खेती के लिए कोई विशेष प्रकार की मिट्टी नहीं चाहिए होती है। सभी प्रकार की मिट्टियों में सहजन की खेती की जा सकती है। चुकी हम इसकी व्यवसायिक खेती की बात कर रहे है, तो इसके लिए साल में दो बार फलनेवाला सहजन के प्रभेदों के लिए 6-7.5 पी.एच. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम है।

सहजन की खेती कब करे

वैसे तो इसकी खेती कभी भी की जा सकती है फिर भीसहजन के पौधों के मृत्यु दर कम रखने के लिए जुलाई से सितम्बर महीने मे इसकी बुवाई अवधि सबसे उत्तम है।

सहजन की खेती कैसे करे

इसके पौधों की रोपनी गड्ढा बना कर किया जाता है। खेत की अच्छी तरह से साफ सफाई और खर पतवार हटा कर 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. आकार का गड्ढा बनाते हैं। और इस गड्ढे मे गोबर की खाद को भर दे और छोड़ दे। इससे खेत पौध के रोपनी हेतु तैयार हो जाता है।

सहजन में बीज और शाखा के टुकड़ों दोनों से ही इसकी बुवाई होता है। अच्छी फलन और साल में दो बार फलन के लिए बीज से बुवाई करना अच्छा है। एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त है। बीज को सीधे तैयार गड्ढों में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार कर गड्ढों में लगाया जा सकता है। पॉलीथीन बैग में पौध एक महीना में लगाने योग्य तैयार हो जाता है।

सहजन कि बीज ऑनलाइन कहा से ख़रीदे

सहजन कि बीज ऑनलाइन उपलब्ध है, आप अपने सुविधा अनुसार किसी भी वेबसाइट से ले सकते है जैसे कि

  1. अमेज़न
  2. फ्लिप्कार्ट
  3. इंडिया मार्ट इत्यादि।

उम्मीद है हमने सहजन कि खेती की जानकारी से जुड़े सारे सवालों का जवाब अपने इस आर्टिकल के माध्यम से दे दिया होगा। फिर भी कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेन्ट करके जरूर बताए। और हाँ अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो लाइक जरूर कर दीजिये।

ये भी पढे :

बिहार मे सहजन की खेती | किसानों की आय बढ़ाएगी राज्य सरकार

लेमन ग्रास की खेती और लेमन ग्रास के फायदे

बिहार मे जुट की खेती

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *