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Maa Ambika Bhavani Mandir | Aami Mandir Chapra Bihar

आमी मंदिर जिसे माँ अम्बिका स्थान के नाम से भी जाना जाता है। ये बिहार मे मौजूद 03 (गया सर्वमंगला, छिन्न मस्तिका, हजारीबाग, और अम्बिका भवानी, आमी दिघवारा छपरा) शक्ति पीठों मे से एक है जहा माँ सती ने अपने प्राण त्याग दिये थे। आज हम जिस शक्ति पीठ कि चर्चा करने वाले है वो बिहार राज्य के छपरा शहर स्थित आमी कस्बे मे है। इसी कारण इस पवित्र स्थल को आमी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू ग्रंथों में माँ अम्बिका भवानी को अम्बे, पार्वती, गौरी, दुर्गा आदि नामो से जाना जाता है।

अम्बिका मंदिर कि कहानी

पौराणिक गाथाओ के अनुसार आमी मंदिर से जुड़ी जो गाथा है, उसमे ब्रह्म देव के पुत्र दक्ष प्रजापति का उलेख आता है। भगवान शिव के अभिशाप और ब्रह्म देव के झूठ के कारण उन्होंने अपने पांचवें सिर को शिव के सामने खो दिया था। दक्ष को इसी वजह से भगवान शिव से द्वेष था और भगवान शिव और माता सती की शादी नहीं कराना चाहते थे।

हालांकि, माता सती भगवन शिव की ओर आकर्षित हो गई और माता सती ने कठोर तपस्या की और अंत में भगवान शिव और माता सती का विवाह संपन हुआ।

भगवान शिव से प्रतिशोध लेने की इच्छा वश राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। दक्ष ने भगवान शिव और अपनी पुत्री माता सती को छोड़कर सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। माता सती ने यज्ञ में उपस्थित होने की अपनी इच्छा भगवान शिव के समक्ष व्यक्त की, जिसे भगवान शिव ने रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की परंतु माता सती यज्ञ में चली गई।

यज्ञ मे पहुंचने के पश्चात माता सती का कोई भी स्वागत नहीं किया गया। इसके साथ ही, दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का घोर अपमान भी किया। माता सती से अपने पिता द्वारा अपने पति का अपमान नहीं सहा गया। और अपमान से क्रोधित होकर माँ सती ने उसी यज्ञ कुंड मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिये।

भगवान शिव का तांडव

जब भगवान शिव को इस घटना के बारे मे पता चला तब अपमान और चोट से भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हो गये। और भगवान शिव के वीरभद्र अवतार ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने के साथ ही उसका सिर भी काट दिया। सभी मौजूद देवताओं के अनुरोध के बाद दक्ष को वापस जीवित किया गया और एक बकरे का सिर लगाया गया।

दुख में डूबे शिव ने माता सती के शरीर को उठाकर, विनाश का दिव्य तांडव शुरू कर दिया। यह देख  देवताओं ने भगवान विष्णु को इस विनाश से बचाने का अनुरोध किया। जिस पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के देह के 52 टुकड़े कर दिए। शरीर के विभिन्न हिस्से  भारतीय उपमहाद्वीप (नेपाल, श्रीलंका ,बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत) के कई स्थानों पर गिरे और वह शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हुए। उन्ही पीठों मे से एक है अम्बिका मंदिर या माँ अम्बिका स्थान जिसे हम आमी मंदिर के नाम से भी जानते है।

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आमी मंदिर प्रांगण मे भगवान शिव कि प्रतिमा

आमी मंदिर दिघवारा

मौजूदा आमी मंदिर छपरा के दिघवारा में पड़ता है जो पौराणिक दक्ष राज्य के अधीन आता था। राजा दक्ष ने जो यज्ञ किया था उसका एक बहुत भव्य द्वार बनवाया गया था। जिसका नाम “दिघ द्वार” रखा था। और कालंतर मे दिघ-द्वार को ही दिघवारा के नाम से लोग जानने लगे।

दिघवारा के आमी गांव में, एक प्राचीन पूजा स्थल है, जिसे अम्बा स्थान भी कहा जाता है। शिव शक्ति से संरक्षित एवं समन्वित अम्बिका भवानी आमी स्थल वैष्णव शक्ति एवं अवधूत कपालिक साधकों की साधना भूमि है।

आमी देवी मंदिर के मुख्य आकर्षण

(1) मंदिर का चमत्कारी कुआँ

मंदिर के समीप एक बड़ा सा उपवन है जिसमे एक गहरा और चौड़ा कुआँ है। स्थानिये लोगों के अनुसार ये कुआँ कभी भी नहीं सूखता, और इसमे साल भर पानी भरा रहता है।

(2) यज्ञ कुंड

यहा पर एक यज्ञ कुंड है, जिसके दर्शन को श्रद्धालु दूर दराज के क्षेत्रों से यहा आते है। और इस स्थान पर यज्ञ कुंड के दर्शन करते हैं। भक्तो का मानना है कि कुंड में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया गया जल अपने आप गायब हो जाता है, यह इस जगह कि खासियत है। भक्त जन इसे आमी अम्बिका भवानी का चमत्कार मानते है।

(3) आमी अम्बिका भवानी मंदिर कि खास प्रतिमा

बिहार सरकार के पूर्व पुरातत्व निदेशक डा. प्रकाश चरण प्रसाद इसे पौराणिक दक्ष क्षेत्र एवं शिव शक्ति समन्वय स्थल मानते हैं। डा. प्रकाश चरण प्रसाद इसे प्राचीन मातृ शक्ति रूप मानते हुए माँ की मिट्टी की प्रतिमा को पासाण युग से भी पहले की प्रागैतिहासिक काल की प्रतिमा मानते हैं। पूरे विश्व में मिट्टी की प्रतिमा यदि कहीं है तो वह आमी में ही स्थित है।

(4) महाशिवरात्रि पर शिव विवाह समारोह

हर वर्ष आमी मंदिर छपरा मे महाशिवरात्रि के मौके पर यहां लाखों भक्त आते हैं। एक तरफ से दुल्हन तैयार होती है और दूसरे तरफ से दूल्हा आता है, इसके साथ पूरी विवाह समारोह पवित्र हिंदू तरीके से आयोजित किया जाता है। पूरे दिन और रात उत्सव चलता रहता है। इस दौरान शिव बारात मुख्य आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

(5) नवरात्रि मे पूजा का विशेष महत्व

आमी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि जो यहाँ पर पूजा अर्चना करता है, उसकी सारी  मनोकामनाएं देवी माँ पूरी करती हैं। इसलिए नवरात्रि के अवसर पर, देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु यहाँ दिव्य आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए एकत्रित होते हैं।

माँ अम्बिका भवानी मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखे तथ्य

(1) मंदिर एक किले की संरचना में है जो तीन तरफ से गंगा नदी से घिरा हुआ है और उसी के किनारे स्थित है। यह सारण के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्थित है।और यहाँ बाढ़ के दौरान भी गंगा कभी किले को नहीं छूती है।

(2) पूरे विश्व में मिट्टी की प्रतिमा यदि कहीं है तो वह आमी में ही स्थित है।

(3) शक्ति की पूजा में एक समान त्रिभुज का उतना ही महत्व है जितना कि भगवान विष्णु के लिए सालिग्राम और भगवान शिव के लिए शिव लिंग का। त्रिभुज के केंद्र को प्रम्बिका या अम्बिका कहा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से तीन शिव मंदिरों (बैद्यनाथ, विश्वनाथ और पशुपतिनाथ) की दूरी यहा से समान है। और यदि हम तीन शिव मंदिर को जोड़ने वाली एक काल्पनिक रेखा खींचते हैं तो यह केंद्र में अम्बिका अष्टम अमावस्या के साथ एक समभुज त्रिकोण होगा। यह अंबिका स्थान आमी के महत्व को दर्शाता है।

(4) 1973 मे बिहार सरकार के पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक श्री प्रकाश चंद्र के नेतृतव मे खुदाई हुई और पाला राजवंश के दौरान इस्तेमाल की गई ईंटों से बनी एक दीवार मिली।

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मंदिर प्रांगण मे अन्य देवी देवता कि प्रतिमाये

आमी मंदिर कहा स्थित है

आमी बिहार राज्य मे छपरा शहर के आमी कस्बे मे स्थित है। दिघवारा से इसकी दूरी 4 किमी है जबकि यह स्थान छपरा से 37 किमी दूर स्थित है।

माँ अम्बिका भवानी मंदिर कैसे पहुचे

निकटतम हवाई अड्डा जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 57 किमी की दूरी पर है। आमी गाँव NH 19 सड़क के किनारे स्थित है। यह उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों और बिहार से जुड़ता है। आमी खुद एक रेलवे स्टेशन (हाल्ट) है।

यहा google maps के लिंक पर क्लिक करके भी आप मंदिर तक पहुच सकते है।

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ऊपर दी गई जानकारी कैसी लगी कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।

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4 Comments

  1. बहुत ही सुन्दर तरीके से Aami Mandir के बारे में बताया गया है। Nice…

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